नेपाली राम के पीछे होश न गवाओ
— अयोध्या प्रसाद श्रीवास्तव
नेपाली प्रधान मन्त्री K.P. Oli ने P. M .निवास मे भानु जयन्ती के कार्यक्रम मे बोलते कहा कि राम कT जन्म ,भारत की अयोध्या नही, अपितु नेपाल मे बीरगन्ज के पश्चिम ठोरी छेत्र मे अवस्थित अयोध्या गाव मे हुआ था ./ फल्स्वरु एक तरफ नेपाल के ही नागरिक और सन्चार माध्यम उनके उपर टुट पडा है और बुरा भला कह ही रहा है दूसरी तरफ भारत मे नेपाल के पि एम के साथ साथ नेपाली जनता को भी अपमानित और गम्भीर अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। यह लेखक नेपाल का एक तराईवासी नागरिक है और नेपाल भारत के सम्बन्धो पर किसी बात से खराब असर न पडे इस भावना को प्रतिश्ठा देता है, इस बिगड्ते हुये माहौल को देख कर वास्तविकता को दर्शाकर वातावरण पुनः शान्तिपुर्ण बनाना अपना कर्तव्य समझता है ।
भारत के कुछ लोगो और सन्गठनो के आचरण से नेपाली जनता को शिकायत जरुर है जैसे सामान्य नागरिको को भारत मे ठगा और लुटा जाना, सीमा अतिक्रमण सम्बन्धी विवादो को निपटाने मे कम उत्सुक होना – यथा स्थिति मे रहने देना, भारतीय कान्ग्रेस की सरकार द्वारा नेपाली माओवादियो को भारत मे शरण और सहयोग देकर नेपाल से हिन्दु रास्ट्र हटाकर धर्मनिर्पेछ करना और राजतन्त्र हटवानाआदि। इसी तरह से भारतीयो को कुछ शिकायते नेपाल से भी हो सक्ती है लेकिन इन तमाम बातो का विस्लेशण यहा सम्भव और आवश्यक नही है और इस बात को उठाने का मतलब तर्क वितर्क और तोता मैना की कहानी जैसा ही है। यहा सीधे मुल विशय पर ही जाना ठीक होगा।
नेपालियो के लिए भारत भूमि पवित्र और सम्मान्य तो है ही लेकिन नेपाल भूमि जनक जानकी, लव कुशऔर गौतम बुद्ध की जन्मभूमि ; व्यास, वालमीकि, कपिल आदि ऋशियो की तपोभूमि ,और शिव सती की क्रीडा भूमि होने के वजह से भारतीय सहित विश्व के हिन्दुओ के लिये यह पवित्र, दिव्य और श्रद्धा की भूमि है , लौकिक और पौराणिक नातेदारी है जिसके निर्वाह मे आज भी सरकारी मान्यता और सहयोग से प्रति वर्श अयोध्या से जनकपुर बारात तक जाती है और राम सीता का विवाह होता है दान दछिणा होती है । नेपाल या भारत किसी के सन्गठित या असन्गठित किसी भी समूह को व्यक्तिगत या सरकारी स्तर पर सभ्य विरोध या प्रदर्शन करना अलग बात है लेकिन जनस्तर पर राश्ट्रिय या धार्मिक सान्सक्रितिक आदि भावनात्मक विरोध प्रदर्शन, हिसक,आमानवीय या लज्जास्पद कोई भी काम ब्यवहार सर्वथा गलत परिणाम देगा। दो देशो का यह सम्बन्ध सैकडो शताव्दियो मे हुआ है किसी शड्यन्त्र या कोई शिरफिरा एक झट्के मे तोड दे तो कितने शर्म की बात है।
भारतीय काग्रेस का उद्देश्य और द्रिश्टिकोण वही जाने। लेकिन अधिकतर नेपाली यह सोचता है कि नेपाल के माओवादियो और तत्कलीन नेपाल सरकार के बीच हुए दिल्ली सझौता से बहुत कुछ् बिगडा है । हिन्सा की विजय हुई है . नेपाल का एक मुट्ठी कम्युनिश्ट आज पुरे नेपाल को ढक चुका है दो तिहाई की सरकार है और अदालत सहित प्रजातान्त्रिक खम्भे उनकी शक्ति के आधीन हो चुके है । भ्र्श्टाचार उत्कर्श पर है । प्रजातन्त्रवादी घुटने टेक चुके है कम्युनिश्ट शक्ति केन्द्र युरोपियन अमेरिकन शक्ति से भी परिचालित है और नेपाल मे बडे नेता गण क्रिश्चियनिटी के समर्थन और विस्तार मे लगे है । इसी कारण नेपाल और भारत के सम्बन्ध बिगड रहे है।
नेपाल और भारत दो पडोसी है इस लिए दोनो के बीच सम्बन्ध मधुर होना चाहिए, सिर्फ इस धारणा से दोनो के बीच इतने आत्मीय सम्बन्ध है , केवल यह बात नही है ,वास्तव मे नेपाली और भारतीय जनता के बीच चली आ रही पारम्परिक और पौराणिक सम्बन्ध और सान्सक्रितिक धार्मिक वैचारिक एकता ने इन दोनो को इतना घनिश्ट बनाया है। नेपाल या भारत का ऐसा आत्मीय सम्बन्ध किसी अन्य देश के साथ हो ही नही सक्ता है ।नेपाल के हिन्दुत्व का कुछ न कुछ असर और लाभ भाजपा और मोदी सरकार को मिलता ही है और जब तक नेपाल मे हिन्दुत्व मजबुत है तब तक केवल भाजपा ही नही ्भारत वर्श ही अधिक सुरछित माना जा सकता है इसलिए भाजपा के पतन के लिये ,और नेपाल मे हिन्दुत्व के कारण राजतन्त्र या राजतन्त्र के कारण हिन्दुत्व की रछा की अवधारणा के कारण भी पहले नेपाल से हिन्दुत्व और राजतन्त्र को खतम करना आवश्यक लगा होगा । नेपाल की जनसन्ख्या का करीब ९४% ओमकार परिवार है लेकिन भारत की विशालता और जनसन्ख्या तथा आचरण के आधार पर हिन्दुत्व ्का मजबुत आधार भारत है । इस लिए नेपाल से हिन्दुत्व की समाप्ति के लिए भारत से इसका सम्बन्ध तोड्ना इनकी पहली आवश्यकता होनी चाहिये ।
नेपाल के कम्युनिश्ट पश्चिमा प्र्भाव और चीन के भी दबाव मे है। गत वर्श सरकार सन रछित एक व्रिहद विशेश क्रिश्चियन कार्यक्रम मे पि ऍम ओली ने ईसईयत की विधिवत प्रक्रिया मे होली वाईन पी चुके है जिसका अर्थ धर्म दीछा बताया जाता है। कम्युनिश्ट के और भी बडे नेता उसी मे पहले से ही है।
भारत को यह सोचना चाहिये था कि नेपाल उसके लिए एक ढाल का काम करता है। अगर पश्चिमा शक्ति नेपाल मे अपनी पकड बना कर अड़ा जमाती है तो उस्का दुरगामी लछ्य भारत और चीन दोनो है। इस लिए भारत और नेपाल के लोगो को हमेशा दुर तक सोचना चाहिए । मीडिया और सामाजिक सन्जाल भी खुब भावनाओ को भडकाते है और आग मे घी डालते है। इन शड्यन्त्रो और स्थितियो को सभी लोग समझे । इस बात को चीन समझता नहोता तो अब तक MCC पास हो जाने दिया होता । लेकिन वह दुरद्रिश्टि रखता है । वली जी को भी बडा फायदा दिख रहा होगा। ओली पुरी तरह से पश्चिम से दब कर नेपाल मे क्रिश्चिनियटी लाना और दूसरी तरफ उसी तीर से दुसरा शिकार भारतीय काग्रेस का भी ऋण अदा करना चाहते होगे . भारतीय जनता और सरकार तथा विपछी लोगो को भी अपने राश्ट्रिय हित और पडोस मे शान्ति की बात को सोचना चाहिए ।
ओली नेपाली जनता की भावनाओ का दोहन करना जानते है। इस लिए जो मुद्दा उठाया है उसमे रास्ट्रिय भावना जुडी हुई है इस लिए उनके राजनीतिक भक्त और कम्युनिश्ट भी तुरन्त उनका अन्ध समर्थन कर रहे है .जो उन्की बात को गलत समझ्ता है तो वली या कम्युनिश्ट समर्थक ही उसे भारतीय दलाल कहकर पीट लेते है । इसलिए नेपाली कोई भी सीधे विरोध मे नही जाएगा यदि बहुत बुरा लगेगा तो “ चलो जाच कर लेते है “। इतना भर कह पाने की स्थिति बन पायेगी। इस तरह ओलीजी का यह मुद्दा आज नेपाल के हिन्दुओ मे ओली समर्थक के हिन्दु और हिन्दुत्व समर्थक ( माने भारतीय समर्थक की सूची मे दर्ज होना ) , उसमे भी, बाद मे हिन्दु माने तराईवासी देशी और पहाडी नश्लवाद को जन्म देगा जिससे पहाडी हिन्दु समर्थक को चुप हो जाना पडेगा और हिन्दुत्व छिन्न भिन्न दिखेगा। । इससे मुश्ल्मानो को सन्तुश्टि और ओली को समर्थन की आशा होगी ,मुश्लिम जो ईशाईयत का शसक्त बिरोधी खेमा है ,निस्तेज हो जायेगा, कट्टर्पन्थियो की चाल और नश्लवादी ताकते भी सवार हो सकती है जिससे बडी अशान्ति का भी खतरा बन सकता है। उधर भारतीय मुसलमान भी भीतर से ओली को धन्यवाद देगे और अयोध्या जन्मभूमि के मुद्दे पर फिर नये शिरे से चर्चा गरम हो सकती है।
दोनो देशो का सम्बन्ध बिगाड्ने वाले अन्य लोग जैसे बनारस मे नेपाली के मुन्डन की वीडियो बना कर वायरल की गई मौका पा जाते है और तनाव बना देते है ,जैसे इन्दौर आदि जगहो पर नेपालियो को भारत से खदेड्ने की बात हुई अनावश्यक विवाद बना देते है जो दोनो देशो के हित के बिरुद्ध है .
१९९२ बाबरी मस्जिद का ढाचा टूटने से पकिस्तान और बन्गलादेश मे कितने हिन्दूमन्दिर , घर टुटे थे , कितना बलात्कार और हत्याये हुई थी ? रितीक रोशन के वक्तव्य पर नेपाल मे तराईवासियो के साथ क्या हुआ था ? कट्टरपन्थियो या कथित राश्ट्रवादियो को अन्यत्र रहने वाले अल्पसन्ख्यको पर पडने वाले सन्कट को भी सोचना चाहिये और किसी भी जाति धर्म नश्ल तथा राश्ट्रियता जैसे मुद्दो पर अहन्कारी विवाद न उठाना ही ठीक होगा। आशा है नेपाली भारतीय सभी मे जन सद्भाव बनाने की कोशिस की जाएगी ।
( लेखक अधिवक्ता ,पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, प्राध्यापक तथा राजनीतिशास्त्र के अध्येता है )